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आज सुबह मैंने फेस बुक पर एक पोस्ट देखी जिसमे आरक्षण का विरोध किया गया था मैं भी वर्तमान समय में दिए जा रहे आरक्षण का समर्थक नहीं हूँ आरक्षण जातिगत न होकर योग्यता और आर्थिक स्थिति के आधार पर होना चाहिए. पर फिर भी आज कुछ मन कर रहा है इस मुद्दे पर कहने को, जो लोग आरक्षण विरोधी है वो मेरी जाति को देख कर मुझे भी गालियाँ देगे, और शायद ये भी कहे कि तुम तो ये बोलोगे ही…क्योकि मैं भी उस आरक्षण प्राप्त तथाकथित निम्न वर्ग से ही हूँ……….फिर भी अपनी सोच आपके सामने रखने का एक प्रयास कर रहा हूँ …..कि …. आज जो भी ग्रुप आरक्षण के विरोध में एफ़० बी० पर है उनके अधिकांश सदस्य बिना चिन्तन के इस मुद्दे पर आरक्षण प्राप्त निम्न वर्ग के सदस्यों को अभद्र भाषा से नवाजते रहते है यहाँ पर मैं उनसे सवाल करना कहता हूँ कि क्या इस नीति का जिम्मेदार सिर्फ आरक्षण प्राप्त तथाकथित निम्न वर्ग ही है? और जवाब अगर हाँ है तो…………फिर भी मैं उन लोगों से सर्व प्रथम माफ़ी चाहता हूँ जो लोग मेरी बात से समत नहीं है………मुझे पता हैं कि जो लोग आरक्षण के धुर विरोधी है— वे हाथी नहीं गणेश के उपासक हैं, मैं चाहता हूँ कि वो लोग थोड़ी बुद्धि की भिक्षा भगवान् गणेश से अपने लिए भी मांग ले 🙂
जहाँ तक मैं जानता हूँ बुद्धि के देवता को धर्म में आरक्षण प्राप्त हैं, कि सबसे पहला पूजन भगवान् गणेश का होगा ये बात अपने आप में उच्च वर्ग माने जाने वाले सवर्ण वर्ग (ब्राहमण) ने ही समाज को दी है जब इसकी शुरुआत आप जैसे उच्च वर्ग कि देंन है तो आज यहाँ विरोध क्यों? फिर ये युद्ध क्यों….. अगर यहाँ किसी को आरक्षण मिल रहा है? मैं उनसे कहना चाहूँगा कि आप सवर्ण हैं इसलिए तो आरक्षण हैं, आप जिस दिन इंसान बन जायेंगे उस दिन खुद ही ख़त्म हो जायेगा….फिर ग्रुप बनाकर राजनीति करने की जरुरत नहीं होगी.
जब तक वर्ण व्यवस्था ख़त्म नहीं होगी तब तक कानूनी वर्ग व्यवस्ता भी ख़त्म नहीं होगी और जहाँ तक मैं सोच सकता हूँ आज के समाज कि जो मानसिकता है उसे देखते हुए ये संभव नहीं है ! यहाँ मैं पुनः उन सभी बन्धुवों में माफ़ी चाहता हूँ जो मुझसे सहमत नहीं है !
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